इस कदर ये इश्क़ ऐसी साजिशें रचता है !!
कि मेरे चेहरे में उसका चेहरा दिखता है !!
थोड़ी जल्दी आया करो मिलने के लिए !!
हमारा दिल नहीं बना तुमसे दूर रहने के लिए !!
आना तुम्हारा बहार ले आता है !!
मेरा मन तब मेरा ही ना रह पाता है !!
खुशबू से है वो जब आसपास भी नहीं होते !!
फिर भी महसूस होते है !!
कोहरा-सा बनकर मेरे दिल पे छा गए हो !!
तुम्हारे सिवाय कुछ दिखता ही नहीं !!
राख से भी आएगी खुशबू मोहब्बत की !!
मेरे खत तुम सरेआम जलाया ना करो !!
लिखने को हर दिन आधा इश्क़ लिखता हूँ !!
तुम आओगे तभी तो पूरा होगा !!
हर वक़्त फ़िराक में रहता है !!
ये मेरा इश्क़ तुमसे मिलने को कहता है !!
जितना तुम्हारा दीदार होता है !!
मुझे तुमसे इश्क़ उतनी बार होता है !!
लगता है इश्क़ अपने उसूलों पे कायम ही रहेगा !!
ये कल भी तकलीफ देता था और आगे भी तकलीफ देगा !!
इतनी गहराइयो में जा पहुचा है इश्क़ मेरा !!
देखना पैमाना भी छोटा पड जाएगा तेरा !!
क़र्ज़ चढ़ गया है अब तुम पर मेरे प्यार का !!
तो सवाल ही नहीं उठता तुम्हारे इंकार का !!
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