Zindagi Shayari In Hindi
सियासत इस कदर अवाम पे अहसान करती है !!
आँखे छीन लेती है फिर चश्मे दान करती है !!


इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले !!
ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले !!
बंद मुट्ठी से जो उड़ जाती है क़िस्मत की परी !!
इस हथेली में कोई छेद पुराना होगा !!
मुझे ऊँचाइओं पर देखकर हैरान है बहुत लोग !!
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे !!
चराग़ घर का हो महफ़िल का हो कि मंदिर का !!
हवा के पास कोई मस्लहत नहीं होती !!
आइना देख कर कुछ खुद को तसल्ली हुई !!
खुदगर्जी के ज़माने में कोई तो जानता है हमें !!
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है !!
जहाँ कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है !!
जिसकी कफस में आँख खुली हो मेरी तरह !!
उसके लिये चमन की खिजाँ क्या बहार क्या !!
क्यूँ हम को सुनाते हो जहन्नुम के फ़साने !!
इस दौर में जीने की सजा कम तो नहीं है !!
अब क्यों न ज़िन्दगी पे मुहब्बत को वार दे !!
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ !!
यूँ गलत नहीं होती चेहरों की तासीर लेकिन !!
लोग वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है !!
कोई ग़म से परेशान है कोई जन्नत का तालिब !!
गरज सजदे कराती है इबादत कौन करता है !!
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