shayari on maa
किसी ने भगवन को माना तो किसी ने !!
अल्लाह लिखा मैने कलम उठाई अदब !!
से और सबसे पहले माँ लिखा !!
माँ कहती है मुझे आज भूख नहीं है ये आखिरी रोटी !!
भी तुम खा लो ये सिर्फ दुनिया में माँ कहती है !!
यु तो ज्यादा पड़ी लिखी नहीं है मेरी माँ मगर फिर !!
भी वो मेरा चेहरा पढ़ लेती है जमाना बहुत कोशिश !!
करता है मुझे गिराने की मगर गिरने से पहले ही !!
मेरी माँ मुझे पकड़ लेती है !!
मेरी आँखों से पढ़कर वो मुझे जान लेती है !!
इक माँ ही तो हैं जो मुझसे पहले मुझे !!
पहचान लेती है !!
चाँद सिक्के जब माँ ने मेरे सर से उतारे !!
दुनिया जहान की दौलत फीकी पद गई !!
धूप मैं बाप और चूल्हे पर माँ जलती है !!
तब जाकर औलाद पलटी है !!
आँखे खोलू तोह चेहरा माँ का होआँखे बंद हो !!
तो सपना माँ का हो में मर भी जाऊ तोह कोई गम !!
नहीं बस कफ़न मिले तोह दुपट्टा मेरी माँ का हो !!
ज़िन्दगी की पहली उस्ताद माँ ज़िन्दगी की !!
पहली दोस्त भी माँ ज़िन्दगी भी माँ क्योकि !!
ज़िन्दगी देने वाली भी माँ !!
दर – ब -दर तलाश कर खुद को में बापस घर को !!
आ गयी दिखी ना जब मुझे पूरी दुनिया में जन्नत तब !!
माँ से मिलकर वो भी नज़र आ गयी !!
माँ मुझ से नाराज़ न हुआ कर फिर मेरा !!
रब भी मेरी नहीं सुनता !!
एक माँ अपने 10 बच्चो की देख भल कर सकती है !!
लेकिन कभी कभी 10 बच्चे एक माँ की देख भल !!
नहीं करते है !!
दम तोड़ देती है माँ – बाप की ममता जब !!
बच्चे कहते हैं की तुमने किया हमारे लिए !!
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