तिलकुट की खुश्बू दही चिवड़ा की बहार !!
मुबारक हो आपको मकर संक्रांति का त्योहार !!
खिचड़ी का पर्व लाया मस्ती और उमंग !!
आकाश को पतंग से डालो रंग !!
ऊंची पतंग और खुला आकाश !!
संक्रांति पर छाए हर्षोल्लास !!
मीठी बोली मीठी जुबान !!
मकरसंक्रांति का है ये हीपैगाम !!
इश्क की पतंगे उडाना छोड़ दी !!
वरना हर हसीनाओं की छत पर हमारे ही धागे होते !!
तुम क्या जानो गम क्या होता है !!
तुने तो हमेशा भात से ही पतंग चिपकाया हैं !!
मोहब्बत एक कटी पतंग है जनाब !!
गिरती वही है जिसकी छत बड़ी होती है !!
नजर सदा हो उची !!
सिखाती है पतंग !!
सुंदर कर्म शुभ पर्वहर पल सुख और हर दिन !!
शान्तिआप सब के लिए लाये मकर संक्रांति !!
तन में मस्ती मन में उमंग देकर सबको अपनापन !!
गुड़ में जैसे मिठापन होकर साथ हम उड़ाये पतंग !!
भर दें आकाश में अपने रंग !!
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